Mirzapur 2: मिर्जापुर का सीजन 2 दस्तक दे चुका है. दुश्मनियां अब नए स्तर पर पहुंच गई हैं और बदला लेने के कई दबंग निकल पड़े हैं.
Mirzapur 2: मिर्जापुर का सीजन 2 (Mirzapur 2) दस्तक दे चुका है. दुश्मनियां अब नए स्तर पर पहुंच गई हैं और बदला लेने के कई दबंग निकल पड़े हैं. मिर्जापुर के पहले सीजन को ऐसे मोड़ पर छोड़ा गया था कि फैन्स उसका बहुत ही बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. इस सीजन में आप देख सकेंगे कि कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी), मुन्ना (दिव्येंदु शर्मा), बीना (रसिका दुग्गल), गुड्डू पंडित (अली फजल) और गोलू गुप्ता (श्वेता त्रिपाठी) का क्या होगा. आइए जानें मिर्जापुर 2 (Mirzapur 2) देखने की पांच वजहें…
1. गुड्डू और गोलू का बदला
यह देखना मजेदार होगा कि कैसे गुड्डू पंडित और गजगामिनी उर्फ गोलू गुप्ता वापस आते हैं और पूरे त्रिपाठी परिवार को झटका देते हैं, जबकि वे अपने परिवार के सदस्यों- बबलू, स्वीटी और गुड्डू के अजन्मे बच्चे की मौत का बदला लेते हैं.
2. आसान नहीं है कालीन भैया की राह
अखंडानंद त्रिपाठी उर्फ कालीन भैया वह शख्स हैं, जिन्होंने मुन्ना भैया के पिता बनने से लेकर, बीना त्रिपाठी के पति या सत्यानंद त्रिपाठी के अच्छे बेटे तक सभी भावनाओं को प्रतिबिंबित किया है. अब, जैसे-जैसे पृष्ठ अपने-अपने तरीके से मुड़ने वाले हैं, कालीन भैया के परिवार के सदस्य अपना असली रंग दिखाते नजर आएंगे.
3. शह और मात- मुन्ना भैया या गुड्डू भैया?
मुन्ना भैया पिछले सीजन में ट्रिगर पॉइंट पर रहे हैं, जहां वे बबलू पंडित, स्वीटी और गुड्डू भैया के अजन्मे बच्चे को मारते हैं. उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि गुड्डू निश्चित रूप से अपने प्रियजनों की मौत का बदला लेने के लिए लौटेंगे और मिर्जापुर की गद्दी को भी संभाल लेंगे! कौन जीतेगा – मुन्ना या गुड्डू, समय ही बताएगा.
4. बीना त्रिपाठी का खतरनाक अंदाज
बीना त्रिपाठी अपनी आवश्यकताओं के लिए बहुत ही सत्यवादी और आक्रामक और यौन प्रलोभन देने वाली रही हैं. हालांकि, पिछले सीजन में हमने उसे ससुर उर्फ सत्यानंद त्रिपाठी द्वारा क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित करते देखा था. आखिरकार फैंस को पता चल जाएगा कि क्या वह त्रिपाठी की ताकत के आगे झुकती हैं या फिर वह उनके खिलाफ जाएगी.
5. शरद की एंट्री के साथ नया ट्विस्ट
मिर्जापुर सीजन 1 में, रति शंकर के बेटे शरद (अंजुम शर्मा) को अंतिम बार अपने पिता की मृत्यु के लिए प्रतिशोध और दुख से भरी आंखों से अपना सिर मुंडवाते हुए देखा गया था. जबकि शरद ने रति शंकर के साथ सदियों पुरानी प्रतिद्वंद्विता के एक सक्रिय सदस्य होने के लिए हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था, क्या अब उनके पिता की मृत्यु के बाद दूसरे विचार होंगे?