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‘राग दरबारी’ से ‘हमजाद’ तक, ऐसे उपन्यास जिन पर बनी वेब सीरीज तो मच जाएगा हंगामा

Hindi Novels

Hindi Novels: हिंदी के दिग्गज लेखक श्रीलाल शुक्ला, कृष्णा सोबती, जैनेंद्र कुमार, मैत्रेयी पुष्पा और मनोहर श्याम जोशी के उपन्यासों पर बन सकती है शानदार सीरीज…

Hindi Novels: हिंदी साहित्य में कई बेहतरीन उपन्यास हैं, जो कई साल पहले लिखे गए लेकिन वह आज भी प्रासंगिक हैं. जब भी हिंदी साहित्य को छोटे परदे पर उकेरा गया है तो उसका लंबे समय तक रंग जमा है. OTT के इस दौर में किताबें बहुत अहम हो गई हैं. ऐसे में हिंदी साहित्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. हिंदी के दिग्गज लेखक श्रीलाल शुक्ला (Shrilal Shukla), कृष्णा सोबती (Krishna Sobti), जैनेंद्र कुमार (Jainendra Kumar), मैत्रेयी पुष्पा (Maitreyi Pushpa) और मनोहर श्याम जोशी (Manohar Shyam Joshi) ने कुछ ऐसे उपन्यासों का सृजन किया है जिन्हें वेब सीरीज में उतारा जाए तो वह शर्तिया दिल जीत लेंगी.

1. राग दरबारी, श्रीलाल शुक्ल
राग दरबारी 1968 में प्रकाशित हुआ और 1969 में इसे साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी मिला. राग दरबारी की कहानी उत्तर प्रदेश के शिवपाल गंज की है, जिसमें रंगनाथ, वैद्यजी, सनीचर और लंगड़ जैसे पात्र हैं. राजनीति और सामाजिक माहौल पर जोरदार तंज है, और एक सुपरहिट वेब सीरीज बनाने का सारा मसाला मौजूद है

2. मित्रो मरजानी, कृष्णा सोबती
कृष्णा सोबती और हिंदी साहित्य की सबसे मजबूत स्त्री पात्रों में से एक. मित्रो खुद से प्यार करती है और अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए किसी भी हद से गुजर जाने में पीछे नहीं हटती है. यह उपन्यास 1967 में प्रकाशित हुआ था.

3. हमजाद, मनोहर श्याम जोशी
मनोहर श्याम जोशी ने ‘बुनियाद’, ‘हम लोग’, ‘कक्का जी कहिन’ और ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ जैसे सीरियल दूरदर्शन के लिए लिखे. उनका उपन्यास ‘हमजाद’ कमीनगी और इंसान के काइयांपन की हद को दिखाता है, और सारी हदें लांघ जाता है. वेब सीरीज के लिए बहुत ही हंगामाखेज उपन्यास.

4. सुनीता, जैनेन्द्र कुमार
हिंदी साहित्यकार जैनेंद्र कुमार के स्त्री पात्र हमेशा से हटकर हुए हैं और अपनी बेबाकी के लिए भी पहचाने जाते हैं. ‘सुनीता’ ऐसी ही पात्र है जो पतिव्रता की परिपाटी से आगे जाती है. वेब सीरीज के लिए बहुत ही क्रांतिकारी विषय.

5. चाक, मैत्रेयी पुष्पा
मैत्रेयी पुष्पा ने ‘चाक’ की सारंग के जरिये बदलाव की कहानी को कहा है और बदलाव संघर्ष के बिना नहीं होता है. इसी बात को इस उपन्यास में दिखाया गया है, जो कई मायनों में अहम है.

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