Books

‘धूमिल समग्र’ का हुआ लोकार्पण, ‘संसद से सड़क तक’ के हैं लेखक

Dhoomil Samagra by Sudama Pandey Dhoomil Rajkamal Prakashan Hindi Literature

'संसद से सड़क तक' जैसी चर्चित कृति के रचनाकार धूमिल (Dhoomil) का समस्त लेखन तीन खंडों में पहली बार प्रकाशित

जनतंत्र पर मंडरा रहे खतरों से अवाम को आगाह करने वाले कवि धूमिल की रचनावली ‘धूमिल समग्र (Dhoomil Samagra)’ का बुधवार  शाम मुंबई में लोकार्पण हुआ. गोरेगांव (पश्चिम) स्थित केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट के सभागार में आयोजित एक विशेष समारोह में धूमिल समग्र को लोकर्पित किया गया. इस अवसर पर इसके संपादक और धूमिल के जयेष्ठ पुत्र डॉ. रत्नशंकर पांडेय के साथ साथ राजेश जोशी, सतीश कालसेकर, अर्जुन गंगले, जितेंद्र भाटिया, डॉ. श्रीधर पवार और नीरजा समेत अनेक गणमान्य साहित्यकार उपस्थित रहे. ‘संसद से सड़क तक’ जैसी चर्चित कृति के कवि धूमिल के समस्त लेखन को तीन खंडों में समेटे यह समग्र राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है.

राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, ”धूमिल समग्र (Dhoomil Samagra)’ का प्रकाशन साहित्य जगत की एक ऐतिहासिक घटना है. धूमिल हिंदी कविता के प्रतिनिधि हस्ताक्षर हैं. उन्हें थोड़ी आयु मिली लेकिन उसी में उन्होंने जो कुछ रचा वह हमारे समाज और साहित्य जगत की थाती है. उन्होंने कहा, हमें गर्व है कि राजकमल प्रकाशन ने उनके समग्र का प्रकाशन किया है, जिसका धूमिल की पुण्यतिथि पर लोकार्पण किया गया.’

9 नवंबर 1936 को उत्तर प्रदेश के एक गांव, खेवली ( वाराणसी) में जन्मे धूमिल का 10 फरवरी 1975 को लखनऊ में निधन हो गया था. उन्हें महज 39 साल की उम्र मिली, जो काफी संघर्षपूर्ण रही. लेकिन इसी में उन्होंने जो कुछ लिखा वह साहित्य का जरूरी दस्तावेज बन गया. अपने समय और समाज की विडंबनाओं की गहरी पड़ताल करने वाली उनकी कविताएं उनके निधन के 45 साल बाद आज और अधिक प्रासंगिक लगती हैं. जीते जी उनका सिर्फ एक कविता संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ छपा जो आधुनिक हिंदी कविता की प्रतिनिधि कृतियों में शुमार हो चुका है. उनके निधन के बाद इनके दो कविता संग्रह और छपे, ‘कल सुनना मुझे’ और ‘सुदामा पाँडे का प्रजातंत्र’. ‘कल सुनना मुझे’ को 1979 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया गया.

Similar Posts