वरिष्ठ लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल (Purushottam Agrawal) द्वारा सम्पादित 'कौन हैं भारत माता? (Kaun hai Bharat Mata)' का प्रसिद्ध शायर-विचारक जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने गुरुवार को जवाहर भवन में लोकार्पण किया.
हिंदुस्तान की बहुलता को नकार कर उसे आगे ले जाना संभव नहीं हो सकता. जवाहरलाल नेहरू और उनकी पीढ़ी के तमाम नेता इस बात को बखूबी जानते थे. नेहरू के बारे में आम तौर पर यह समझा जाता है कि वह पश्चिम के रंगढंग में ढले ऐसे आधुनिक थे जिन्हें अपने देश की सभ्यता-संस्कृति से कोई वास्ता नहीं था या वह इससे अनजान थे लेकिन सच्चाई यह है कि वह हिन्दुस्तान की जमीन से बहुत गहरे जुड़े हुए थे. उनके पास अपने देश के लिए बड़ा सपना था जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है. यह बातें ‘कौन हैं भारत माता?’ पुस्तक के लोकार्पण समारोह में कही गईं.
सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पुरुषोत्तम अग्रवाल (Purushottam Agrawal) ने कहा, ‘जवाहरलाल नेहरू को जानने-समझने की कोशिश में पिछले कोई पन्द्रह-बीस सालों से करता रहा हूं. इस कोशिश के एक पड़ाव तक पहुंच जाने का ही नतीजा है यह पुस्तक, जो सबसे पहले अंग्रेजी में छपी! विद्वानों से लेकर आम पाठकों तक ने जिस तरह इसमें दिलचस्पी दिखाई तमाम मित्रों ने जिस तरह इसे हिन्दी में लाने का आग्रह किया और राजकमल ने तत्परता दिखाई उसी का फल है-आज लोकार्पित हो रही यह पुस्तक ‘कौन हैं भारतमाता?’ प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि नेहरू ने जिस हिन्दुस्तान का स्वप्न देखा था और उसे संभव करने के जो प्रयास उन्होंने किए उसकी आलोचना की जा सकती है, उसमें भूलें भी हुईं लेकिन मेरा मानना है कि अपनी संकल्पना में वह बिल्कुल सही थे. नेहरू वास्तव में आलोचनात्मक विवेक से संपन्न समाज बनाना चाहते थे. उनका यह स्वप्न आज और ज्यागा प्रासंगिक है.’
यह पुस्तक महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बौद्धिक विरासत को अत्यन्त प्रासंगिक सन्दर्भ में प्रस्तुत करती है! इसमें नहरू की क्लासिक पुस्तकों: आत्मकथा, विश्व इतिहास की झलकें और भारत की खोज से चयनित अंश दिए गए हैं! उनके कई महत्त्वपूर्ण निबन्ध, भाषण, पत्र और साक्षात्कार भी इसमें शामिल हैं. पुस्तक के दूसरे हिस्से में महात्मा गांधी, भगत सिंह, सरदार पटेल, मौलाना आजाद समेत देश-विदेश की अनेक दिग्गज हस्तियों के नेहरू के बारे में आलेख शामिल हैं.