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Kamukta Ka Utsav Book Review: सेक्स और जिंदगी से जुड़ा बेहद जरूरी कहानी संग्रह है ‘कामुकता का उत्सव’

Kamukta Ka Utsav Book Review

Kamukta Ka Utsav Book Review: जयंती रंगनाथन द्वारा संपादित किताब 'कामुकता का उत्सव' दस्तक दे चुकी है और हिंदी में पहली बार इस तरह का बेबाक कदम उठाया गया है.

Kamukta Ka Utsav Book Review: जयंती रंगनाथन द्वारा संपादित किताब ‘कामुकता का उत्सव (Kamukta Ka Utsav)’ दस्तक दे चुकी है और हिंदी में पहली बार इस तरह का बेबाक कदम उठाया गया है. इस किताब के जरिये हिंदी में उस बंधी बंधाई परिपाटी को तोड़ा गया है, जिसमें सेक्स को हिंदी साहित्य में हेय दृष्टि से देखा जाता है या फिर उसे गंदी बात कहकर नकार दिया जाता है. लेकिन जयंती रंगनाथन ने 19 साहित्यकारों को एक जगह जोड़कर और जिंदगी के सबसे अहम विषयों में से एक को इस तरह छुआ है, जैसे पहले कभी छुआ नहीं गया. जैसा जयंती ने कामुकता का उत्सव: प्रणय, वासना और आनंद की कहानियां’ की भूमिका में ही कह दिया है, ‘इश्क और वासना के बीच की दूरी सूत भर है. दोनों ही प्रकृति दत्त है. इंसान की जरूरत भी. इस तरह इस किताब का पूरा सामने आ जाता है.

जयंती रंगनाथन की ‘कामुकता का उत्सव (Kamukta Ka Utsav Book Review)’ में मनीषा कुलश्रेष्ठ की ‘एडोनिस का रक्त और लिली के फूल’, प्रत्यक्षा सिन्हा की ‘अतर’, जयश्री रॉय की ‘एक रात’, प्रियदर्शन की ‘चाची,’ जयंती रंगनाथन की ‘रोजा पू’, दिव्य प्रकाश दुबे की ‘मन की उलझन’, कमल कुमार की ‘सखी-सहेली’, अंकिता जैन की ‘माया’, विपिन चौधरी की ‘सांप’, गौतम राजऋषि की ‘अनिगिनत परिधियों वाला वृत्त’, अणुशक्ति की ‘हंटिंग जोन’, नरेंद्र सैनी की ‘छत, सेक्स और साबुन’, सोनी सिंह की ‘खेल’, प्रियंका ओम की ‘विष्णु ही शिव है’, इरा टाक की ‘गोवा का पुराना चर्च, रिजर्व सीट और एक अकेला दिल’, रजनी मोरवाल की ‘नटिनी’, डॉ. रूपा सिंह की ‘आय विल कॉल यू’, अनु सिंह चौधरी की ‘प्यार का रंग पानी’ और दुष्यंत की ‘नवरात्र पूजा’.

‘कामुकता का उत्सव (Kamukta Ka Utsav Book Review)’ में जो कहानी अपने टाइटल और विषय से अपनी ओर ध्यान खींचती है, वह है नरेंद्र सैनी की ‘छत, सेक्स और साबुन’. हालांकि टाइटल कुछ और इशारा करता है लेकिन कहानी में सेक्स के माध्यम से एक किशोर बालक की मनःस्थिति को बखूबी बयान किया गया है. कहानी मोंटू की है और उसके पहले शारीरिक अनुभव के साथ शुरू हुई आनंद की एक अलग दुनिया में जाने की दास्तान है. इसके बाद जयंती रंगनाथन की कहानी ‘रोजा पू’ भी ध्यान खींचती है, जिसमें बंटू की कहानी को बहुत ही रोचक अंदाज में पेश किया गया है और उसकी कहानी कई मायनों में अहम हो जाती है. वहीं कमल कुमार की ‘सखी सहेली’ कहानी में जहां दो सखियों के प्रेमालाप को दिखाया गया है और उसकी वजह से जीवन में एक नई उमंग की दस्तक का इशारा भी मिलता है. हालांकि संग्रह की कहानियों में कुछ गढ़ी हुई भी लगती हैं. इसकी एक वजह कई लेखकों का अंर्तद्वंद्व हो सकता है. लेकिन कुल मिलाकर यह कहानी संग्रह एक अच्छी कोशिश है.

किताबः कामुकता का उत्सव

संपादकः जयंती रंगनाथन

प्रकाशकः वाणी प्रकाशन

कीमतः 399 रुपये

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